शुक्रवार को शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट ने सबको चौंका दिया. किसी को भी अंदाजा नहीं था कि बाज़ार इतनी तेज़ी से नीचे जाएगा, खासकर तब जब कई पॉजिटिव बातें सामने थीं. जैसे – रुपया मज़बूत हो रहा है, अगली हफ्ते आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकती है, महंगाई काबू में है, ट्रंप के टैरिफ का खास असर नहीं पड़ा है और इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं. इन सब वजहों से तो बाज़ार को स्थिर या ऊपर जाना चाहिए था, लेकिन इसके उलट गिरावट देखने को मिली. गुरुवार को बाजार ने टैरिफ की खबर को संभाल लिया था, तब सिर्फ 300 अंकों की मामूली गिरावट हुई थी.
आखिर ऐसा कौन सा कारण था कि भारत के शेयर बाजार को एक हजार से ज्यादा अंकों की गिरावट देखनी पड़ी. कुछ जानकारों की मानें तो एक दिन पहले अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. जिसका प्रमुख टैरिफ लगने के बाद अमेरिका में महंगाई और संभावित मंदी आने की संभावना है. जिसकी वजह से डाव जोंस में करीब 4 फीसदी, एसएंडपी 500(S&P 500) में 5 फीसदी और नैस्डैक कंपोजिट में 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी.
यही कारण है कि सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 1.50 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली और निवेशकों को 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो गया. आईटी, फार्मा और मेटल्स कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आइए आपको भी वो चार कारण बताते हैं जिसकी वजह से शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली. वहीं दूसरी ओर वो 5 कारण भी आपको बताएंगे, जिनकी वजह से शेयर बाजार में तेजी आनी चाहिए थी.
शेयर बाजार में बड़ी गिरावट
शेयर बाजार में सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन बड़ी गिरावट देखने को मिली है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 930.67 अंक यानी 1.22 फीसदी की गिरावट के साथ 75,364.69 अंकों पर बंद हुआ. खास बात तो ये है कि सेंसेक्स कारोबारी सत्र के दौरान 1,054.81 अंकों की गिरावट के साथ 75,240.55 अंकों के दिन के लोअर लेवल पर भी पहुंच गया. आंकड़ों के अनुसार सेंसेक्स मामूली गिरावट के साथ ओपन हुआ था. एक दिन पहले सेंसेक्स 76,295.36 अंकों पर देखने को मिला था.वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी भी बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ है. एनएसई के आंकड़ों के अनुसार निफ्टी डेढ़ फीसदी यानी 345.65 अंकों की गिरावट के साथ 22,904.45 अंकों पर बंद हुआ. कारोबार सत्र के दौरान निफ्टी 392.65 अंकों की गिरावट के साथ 22,857.45 अंकों के साथ दिन के लोअर लेवल पर आ गया. वैसे निफ्टी सुबह 23,190.40 अंकों पर ओपन हुआ था.
इन वजहों से आई बाजार में गिरावट
ट्रम्प के टैरिफ से ट्रेड वॉर की आशंका : डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में सभी आयातों पर 10 फीसदी बेसलाइन टैरिफ की घोषणा करके ग्लोबल ट्रेड टेंशन को फिर से भड़का दिया. भारत सहित बड़े ट्रेड सरप्लस वाले देशों को हाई टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. जिसमें भारत (26%), चीन (34%), यूरोपीय संघ (20%), दक्षिण कोरिया (25%), वियतनाम (46%), ताइवान (32%) और जापान (24%) शामिल हैं.
मंदी की आशंकाओं ने दिया बिकवाली को जन्म
2020 के बाद से वॉल स्ट्रीट में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट देखी है. जिसकी वजह से मंदी की चिंताएं और बढ़ गईं हैं. S&P 500 ने रातों-रात 2.4 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप खो दिया है. जिससे अन्य प्रमुख ग्लोबल इंडेक्स भी लाल निशान पर चले गए. जापान का निक्केई 3.4 फीसदी गिर गया और मार्च 2020 में कोविड-19 के बाद से अपने सबसे खराब सप्ताह की ओर बढ़ रहा था.
फार्मा शेयरों में गिरावट
ट्रंप ने फार्मा सेक्टर को टारगेट करके आगामी टैरिफ के संकेत दिए जाने के बाद भारतीय फार्मा शेयरों में सबसे अधिक गिरावट आई. अरबिंदो फार्मा, लॉरस लैब्स, आईपीसीए लैबोरेटरीज और ल्यूपिन जैसे शेयरों में 7% तक की गिरावट आई. एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन फार्मास्यूटिकल्स पर संभावित टैरिफ का मूल्यांकन कर रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि फार्मास्यूटिकल्स को टैरिफ के लिए एक अलग कैटेगिरी के रूप में माना जा रहा है, जिसकी घोषणा जल्द ही होने की उम्मीद है.
हैवीवेट शेयरों में भी बड़ी गिरावट
अगर बात हैवीवेट शेयरों की बात करें तो रिलायंस इंडस्ट्रीज 3.52 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. साथ ही निफ्टी फार्मा (-6.2%), निफ्टी मेटल (-5.3%), और आईटी, ऑटो, रियल्टी और ऑयल एंड गैस सहित अन्य क्षेत्रों में व्यापक गिरावट आई, जो 2-4% के बीच गिर गई. टाटा स्टील में 8 फीसदी से ज्यादा गिरावट देखने को मिली है और टाटा मोटर्स भी 6 फीसदी से ज्यादा डूब गया है.
शेयर बाजार निवेशकों को मोटा नुकसान
वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार निवेशकों को मोटा नुकसान हुआ है. इसका मतलब है कि बीएसई के मार्केट कैप में बड़ी गिरावट देखी गई है. बाजार बंद होने से कुछ मिनट पहले सेंसेक्स 1050 से ज्यादा अंकों की गिरावट देखने को मिली है. आंकड़ों को देखें तो तब बीएसई का मार्केट कैप 4,02,29,687.17 करोड़ पर आ गया था. जबकि एक दिन पहले बीएसई का मार्केट कैप 4,13,33,265.92 करोड़ रुपए पर था. इसका मतलब है कि निवेशकों को 11,03,578.75 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. वैसे बाजार बंद होने तक बीएसई का मार्केट कैप 4,03,55,154.37 करोड़ रुपए पर आ गया है. इसका मतलब है कि बीएसई के मार्केट कैप 9,78,111.55 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
वो पांच कारण जिनकी वजह से आनी चाहिए थी बाजार में तेजी
1. रुपए में तेजी : कारोबारी के दौरान शुक्रवार को तेजी देखने को मिली है. कारोबारी सत्र के दौरान रुपया 32 पैसे की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था, तो बाजार बंद होने के बाद 4 पैसे की बढ़त पर आ गया.
2. कच्चे तेल की कीमत में गिरावट : वहीं दूसरी ओर इंटरनेशनल मार्केट कच्चे तेल की कीमतों में 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. जिसके बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई है. भारत इस तेल का सबसे बड़ा कंज्यूमर है.
3. संभावित महंगाई में कमी : वहीं मार्च महीने की संभावित महंगाई के आंकड़े 4 फीसदी के आसपास या फिर उससे नीचे रह सकते हैं. जो कि देश की इकोनॉमी के लिए काफी अच्छी खबर है. आरबीआई का टारगेट भी 4 फीसदी ही है.
4. रेपो रेट में संभावित कटौती : 9 अप्रैल को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा पॉलिसी रेट का ऐलान करेंगे. अनुमान लगाया गया है कि देश की इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए लगातार दूसरी बार 0.25 फीसदी की कटौती कर सकते हैं.
5. टैरिफ का असर कम होना : ट्रंप ने भारत पर 26 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया है. जानकारों का कहना है कि टैरिफ का असर भारत पर उतना नहीं देखने को मिलेगा, जितना अनुमान लगाया जा रहा है. ऑटो सेक्टर पर थोड़ा बहुत असर देखने को मिल सकता है.