नई दिल्ली : टेक जगत की दिग्गज कंपनी गूगल को अमेरिका में एक महत्वपूर्ण एंटीट्रस्ट (प्रतिस्पर्धा विरोधी) केस में बड़ा झटका लगा है। यह मामला ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में गूगल की मोनोपॉली से जुड़ा है, जिसमें कोर्ट ने गूगल को दोषी ठहराया है। यह कंपनी के खिलाफ पिछले साल आए फैसले की ही अगली कड़ी है। वहीं, सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी मेटा (Meta) भी अमेरिका में एक ऐसे मुकदमे का सामना कर रही है, जो न केवल उसके कारोबारी मॉडल को बदल सकता है, बल्कि दुनिया भर में लोगों के संवाद करने के तरीके पर भी असर डाल सकता है।
गूगल के खिलाफ मामले- ऑनलाइन विज्ञापन और सर्च मोनोपॉली
ऑनलाइन विज्ञापन मोनोपॉली केस- अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया कि गूगल ने डिजिटल विज्ञापन तकनीक बाजार में एकाधिकार जमाने के लिए प्रतिस्पर्धा विरोधी तरीके अपनाए। न्यायाधीश लियोनी ब्रिंकमा ने अपने फैसले में कहा कि गूगल ने “जानबूझकर ऐसी गतिविधियां कीं” जिससे उसने “ओपन वेब डिस्प्ले पब्लिशर एड सर्वर मार्केट” में पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया। अब जब दोष सिद्ध हो चुका है, न्याय विभाग अदालत से मांग करेगा कि गूगल को अपनी कुछ एड टेक सेवाएं बेचनी पड़ें। गूगल ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने का एलान किया है।
Meta के खिलाफ मुकदमा
FTC (फेडरल ट्रेड कमीशन) का आरोप है कि मेटा ने “Buy-or-Bury” रणनीति अपनाकर प्रतिस्पर्धा को खत्म किया। उदाहरण से समझें तो कंपनी ने 2012 में Instagram और 2014 में WhatsApp को इसलिए खरीदा ताकि वे Facebook को चुनौती न दे सकें। FTC के अनुसार, इस रणनीति से उपभोक्ताओं के विकल्प कम हुए और इनोवेशन को नुकसान पहुंचा। अब आयोग चाहता है कि Meta को मजबूर किया जाए कि वह Instagram और WhatsApp को अलग-अलग कंपनी के रूप में बेच दे। Meta का तर्क है कि वह मोनोपॉली नहीं रखती और उसे TikTok, YouTube और X (पूर्व Twitter) जैसी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलती है।
Apple और Amazon पर भी शिकंजा
मार्च 2024 में न्याय विभाग ने Apple पर मुकदमा दायर किया। आरोप है कि Apple ने iPhone के पूरे इकोसिस्टम पर नियंत्रण रखकर प्रतिस्पर्धियों को रास्ते से हटाया। जैसे- एंड्रॉयड डिवाइसेज के साथ कम फीचर वाला मैसेजिंग अनुभव, थर्ड पार्टी वॉलेट्स और स्मार्टवॉच सपोर्ट में सीमाएं। यह मुकदमा अभी प्रारंभिक चरण में है और इसमें वर्षों लग सकते हैं।