कोलकाता : पिछले दो दिनों में कच्चे तेल की कीमतें काफी गिर गई हैं। इसकी वजह अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने का ऐलान और फिर चीन की ओर से जवाबी टैरिफ लगाना है। इन घटनाओं के बाद तेल की कीमतों में करीब 13% की गिरावट हो चुकी है।पिछले एक हफ्ते में ही तेल की कीमतें 10% से ज्यादा गिरी हैं, जो पिछले दो सालों में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट मानी जा रही है। अब कच्चे तेल की कीमतें तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं।इस गिरावट के बाद खाड़ी देशों का क्रूड ऑयल 65 डॉलर और अमेरिका का तेल 62 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है।
मीडिया रिपोर्ट में ने कच्चे तेल की कीमतों में रुपए में कंवर्ट कर प्रति लीटर के हिसाब से कैलकुलेट किया तो बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. कच्चे तेल की कीमतें 35 रुपए प्रति लीटर पर आ चुकी है. इसका मतलब है कि इंटरनेशनल मार्केट में एक लीटर कच्चा तेल कोक और पेस्पी से भी सस्ता हो चुका है. इसके बाद भी भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपए प्रति के पार हैं. एक साल पहले यानी मार्च 2024 में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपए की फ्लैट कटौती की गई थी. उसके बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इंटरनेशनल मार्केट में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कितनी हो गई हैं. जानकार आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कितनी प्रिडिक्ट कर रहे हैं. आइए आपको भी बताते हैं.
चीन ने शुरू किया ट्रेड वॉर
शुक्रवार को तेल की कीमतें 7 फीसदी गिरकर तीन साल से ज़्यादा के निचले स्तर पर आ गईं. वास्तव में चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर ट्रेड वॉर की शुरुआत कर दी है, जिससे निवेशकों के मन में मंदी की संभावना को और बढ़ा दिया है. दुनिया के सबसे बड़े तेल इंपोर्टर चीन ने घोषणा की है कि वह 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी वस्तुओं पर 34 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा. ट्रंप द्वारा टैरिफ को एक सदी से ज़्यादा के उच्चतम स्तर पर बढ़ाने के बाद दुनिया भर के देशों ने जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर ली है. नेचुरल गैस, सोयाबीन और सोने जैसी वस्तुओं में भी गिरावट आई, जबकि ग्लोबल शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिल रही है. निवेश बैंक जेपी मॉर्गन ने कहा कि अब उसे साल के अंत तक वैश्विक आर्थिक मंदी की 60 फीसदी संभावना दिख रही है, जो पहले 40 फीसदी थी.
तीन साल के लोअर लेवल पर तेल की कीमतें
ग्लोबल मार्केट में खाड़ी देशों का कच्चा तेल 4.56 डॉलर या 6.5 फीसदी की गिरावट के साथ 65.58 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि अमेरिकी क्रूड ऑयल यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 4.96 डॉलर या 7.4 फीसदी की गिरावट के साथ 61.99 डॉलर पर बंद हुआ. सत्र के निचले स्तर पर, ब्रेंट 64.03 डॉलर और WTI 60.45 डॉलर पर आ गया, जो चार वर्षों में उनका सबसे निचला स्तर है. अगर बात इस हफ्ते की करें तो ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 10.9 फीसदी और बीते दो दिनों में ब्रेंट क्रूड ऑयल में 12.50 फीसदी गिरावट देखने को मिल चुकी है. जो डेढ़ साल में प्रतिशत के लिहाज से इसका सबसे बड़ा साप्ताहिक नुकसान है. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें एक हफ्ते में 10.6 फीसदी की गिरावट के साथ दो वर्षों में अपनी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है. जबकि दो दिनों में कच्चे तेल की कीमत में 13.50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है.
50 डॉलर पर आएंगी कीमतें
यूनाइटेड आईसीएपी एनर्जी स्पेशलिस्ट स्कॉट शेल्टन ने रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा है कि मेरे हिसाब से, यह कच्चे तेल के उचित मूल्य के करीब है, जब तक कि हमें इस बात का कोई संकेत नहीं मिल जाता कि वास्तव में मांग में कितनी कमी आई है. शेल्टन ने कहा कि मेरी राय में हम निकट भविष्य में डब्ल्यूटीआई के दाम 50 डॉलर के लेवल पर पहुंच जाएंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि मौजूदा बाजार परिस्थितियों में मांग में कमी आएगी. फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि ट्रंप के नए टैरिफ “उम्मीद से अधिक” हैं और हाई महंगाई और स्लो ग्रोथ सहित आर्थिक गिरावट भी संभवतः उतनी ही होगी, जो अमेरिकी केंद्रीय बैंक के लिए आगे आने वाले संभावित कठिन फैसलो की ओर इशारा करती है.