सिंधु जल संधि पर PM मोदी की पाक को दो टूक , ‘भारत का पानी बाहर के नहीं, अब देश के काम आएगा’

AbhijitNews2 hours ago2 Views

नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत लगातार पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है। बुधवार को देशभर में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की जाएगी। देशवासियों की मांग है कि पाकिस्तान को इस बार मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। वहीं, पाकिस्तान को डर है कि कि भारत कभी भी उसपर हमला कर सकता है। कुछ दिनों पहले ही भारत ने सिंधु जल समझौता को स्थगित कर दिया है, जिससे पाकिस्तान बेचैन हो उठा है। मंगलवार को एक निजी चैनल में बोलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि दशकों तक हमारी नदियों के पानी को तनाव और झगड़े का विषय बनाकर रखा गया, लेकिन हमारी सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर नदियों के जोड़ने का एक महा अभियान शुरू किया है।

भारत का पानी अब, भारत के हक में बहेगा: पीएम मोदी
केन-बेतवा लिंक परियोजना, पार्वती-कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना। इनसे लाखों किसानों को फायदा होगा।वैसे आजकल तो मीडिया में पानी को लेकर काफी चर्चा चल रही है। पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था, अब भारत का पानी भारत के हक में बहेगा, भारत के हक में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा। पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘एक समय था जब कोई भी जरूरी कदम उठाने से पहले लोग सोचते थे कि दुनिया क्या सोचेगी… वे सोचते थे कि उन्हें वोट मिलेगा या नहीं, उनकी सीट सुरक्षित रहेगी या नहीं। इन कारणों से बड़े सुधारों में देरी हुई। कोई भी देश इस तरह आगे नहीं बढ़ सकता। देश तभी आगे बढ़ता है जब हम राष्ट्र को सबसे पहले रखते हैं।’

भारत ने सिंधु जल संधि रोकने का किया फैसला
सिंधु जल संधि को रोकने का फैसला कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने लिया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा पर सरकार की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता, तब तक यह निलंबन प्रभावी रहेगा। ये इस संधि की शुरुआत के बाद से यह पहली बार है कि भारत ने आधिकारिक तौर पर इस पर रोक लगाई है – यह उसके कूटनीतिक रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। लगातार तनाव के कारण वर्षों से समीक्षा के लिए समय-समय पर आह्वान के बावजूद, संधि अब तक अछूती रही है। सिंधु जल संधि के तहत भारत 1960 से पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी का बड़ा हिस्सा देता रहा है, जबकि सतलुज, रावी और ब्यास नदियों का जल भारत इस्तेमाल करता है। लेकिन हाल के वर्षों में यह बहस तेज हुई है कि भारत को अपने हिस्से के पानी का पूरा उपयोग करना चाहिए ताकि खेती, पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए देश में जल उपलब्धता बढ़ सके।

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