वाशिंगटन डीसी : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ (जैसे को तैसा आयात शुल्क) का बम आखिरकार बुधवार को फोड़ ही दिया। भारतीय समयानुसार बुधवार रात पौने 2 बजे ट्रंप ने व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से राष्ट्र को संबोधित करते हुए ‘मुक्ति दिवस’ भाषण दिया। उन्होंने इस दौरान बड़े-बड़े दावे किए, कहा कि अमेरिका का स्वर्णकाल अब से शुरू हो रहा है, हम अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे। अब तक अनेक देशों ने अनाप-शनाप टैरिफ लगाकर अमेरिका को लूटा है, लेकिन अब और नहीं…। अब अमेरिका में कारखाने वापस आएंगे, नौकरियां वापस आएंगी और इसी कारण यह अमेरिका का मुक्ति दिवस है। ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत का ‘छूट युक्त टैरिफ’ लगाने की घोषणा की।
हर आयात पर 10% बेसलाइन टैरिफ
ट्रंप ने अमेरिका में आने वाले हर माल पर 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। यह हर देश पर लागू होगा, भले वह अमेरिका का कितना ही बड़ा सहयोगी क्यों न हो। इससे पूरे विश्व में टैरिफ वार शुरू होने की आशंका पैदा हो गई है।
ऑटो सेक्टर पर 25 प्रतिशत टैरिफ
ट्रंप ने ऑटो सेक्टर यानी वाहन क्षेत्र पर सीधे 25 प्रतिशत टैरिफ थोपने की घोषणा कर दी। ट्रंप ने कहा कि सभी विदेशी वाहनों के आयात पर 25 प्रतिशत का टैक्स वसूला जाएगा। इसका असर भारतीय कंपनियों पर भी पड़ेगा, क्योंकि अनेक कार कंपनियां व वाहनों के पुर्जे बनाने वाली कंपनियां अमेरिका को निर्यात करती हैं।
भारत और वियतनाम पर किया ‘रहम’
अमेरिका के साझेदारों और सहयोगियों में, ट्रंप ने वियतनाम और भारत पर सबसे ज्यादा ‘डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाए हैं। वियतनाम पर 46% टैरिफ लगाया गया है, जबकि भारत से आने वाले सामान पर 26% टैरिफ लगेगा।
मोदी को बताया ‘खास दोस्त’
ट्रंप ने भाषण के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खास दोस्त बताया। उन्होंने कहा- मोदी मेरे अच्छे दोस्त, लेकिन उन्होंने हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया; भारत बहुत बहुत बहुत बहुत सख्त है।
कौन कितना टैक्स लगाता है
ट्रंप ने टैरिफ की घोषणा करने से पहले बड़े से चार्ट के जरिये यह भी दिखाया कि किस देश द्वारा अमेरिकी सामान पर कितना टैरिफ लगाया जाता है और अमेरिका उस देश के सामान पर कितना टैरिफ लगाता है। इसके अनुसार भारत 52 प्रतिशत टैक्स लगाता है जबकि अमेरिका 26 प्रतिशत टैक्स लगाता है। इसे बराबर करने के लिए उन्होंने भारत से आने वाले सामान पर 26 प्रतिशत फ्लैट टैक्स लगाने की घोषणा कर दी।
भारत – 26%
चीन – 34%
यूरोपीय संघ – 20%
जापान – 24%
दक्षिण कोरिया – 25%
स्विट्जरलैंड – 31%
यूनाइटेड किंगडम – 10%
ताइवान – 32%
मलेशिया – 24%
ब्राजील – 10%
इंडोनेशिया – 32%
वियतनाम – 46%
सिंगापुर – 10%
यूक्रेन – 10%
वेनेजुएला – 15%
2 अप्रैल को अमेरिकी उद्योग के पुनर्जन्म के दिन के रूप में याद किया जाएगा
अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाने के कार्यक्रम में बोलते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, “मेरे साथी अमेरिकियों, यह मुक्ति दिवस है, जिसका लंबे समय से इंतजार था। 2 अप्रैल, 2025 को हमेशा के लिए अमेरिकी उद्योग के पुनर्जन्म के दिन के रूप में याद किया जाएगा, जिस दिन अमेरिका की नियति को पुनः प्राप्त किया गया और जिस दिन हमने अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना शुरू किया। दशकों से, हमारे देश को निकट और दूर के देशों, मित्र और शत्रु दोनों ने समान रूप से लूटा, लूटा, बलात्कार किया और लूटा है। अमेरिकी स्टीलवर्कर्स, ऑटो वर्कर्स, किसान और कुशल कारीगरों ने वास्तव में गंभीर रूप से कष्ट झेले हैं। उन्होंने पीड़ा में देखा कि कैसे विदेशी नेताओं ने हमारी नौकरियां छीन ली हैं, विदेशी धोखेबाजों ने हमारी फैक्ट्रियों में लूटपाट की है, और विदेशी सफाईकर्मियों ने हमारे एक बार के खूबसूरत अमेरिकी सपने को तोड़ दिया है। हमारे देश और इसके करदाताओं को 50 से अधिक वर्षों से लूटा जा रहा है, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है।”
डेमोक्रेट नेता शूमर ने ट्रंप टैरिफ की आलोचना की, ‘अराजक व्यापार युद्ध’ की चेतावनी दी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपने नवीनतम ट्रंप टैरिफ की घोषणा करने से पहले, सीनेट अल्पसंख्यक नेता चक शूमर ने कसम खाई है कि डेमोक्रेट्स “इन टैरिफ का डटकर मुकाबला करेंगे।” एक समाचार सम्मेलन में बोलते हुए, शूमर ने चेतावनी दी कि टैरिफ अमेरिकी परिवारों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करेंगे, उनका अनुमान है कि वस्तुओं पर उच्च लागत के कारण उन्हें सालाना 5,000 डॉलर से ज़्यादा का भुगतान करना पड़ेगा। उन्होंने ट्रंप पर अरबपतियों के लिए कर कटौती के लिए टैरिफ राजस्व का उपयोग करने का आरोप लगाया और भविष्यवाणी की कि इस कदम से “पागल, अराजक व्यापार युद्ध” और संभावित मंदी होगी।
ट्रम्प टैरिफ लाइव अपडेट: ट्रंप टैरिफ से भारतीय निर्यात पर पड़ेगा ये असर
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि उच्च टैरिफ अंतर के कारण अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निर्यात को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
ट्रंप के ऐलान के बाद क्या-क्या महंगा हो सकता है?
ट्रंप टैरिफ की सबसे ज्यादा मार तो अमेरिकियों पर ही पड़ेगी, क्योंकि ट्रंप के reciprocal tariffs के कारण अमेरिकी उपभोक्ताओं को कई चीजों की ज्यादा कीमतें चुकानी पड़ेंगी। यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकती है। इन 9 प्रमुख चीजों के महंगे होने की आशंका है :
आसमान पर पहुंचा सोने का दाम
डोनाल्ड ट्रंप के ‘Reciprocal Tariffs’ की घोषणा से पहले सोने के दाम आसमान पर जा पहुंचे। बुधवार को सोने की कीमतों में लगातार दूसरे दिन तेजी आई, जिससे यह अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड 0.7% बढ़कर $3,131.25 प्रति औंस पर पहुंच गया। मंगलवार को यह $3,148.88 के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया था। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स भी 0.4% चढ़कर $3,159.90 हो गया।Metals Focus के मैनेजिंग डायरेक्टर फिलिप न्यूमैन का कहना है कि ‘सेफ-हेवन बाइंग’ (सुरक्षित निवेश की प्रवृत्ति) गोल्ड में उछाल की सबसे बड़ी वजह है। ‘ट्रेड वॉर’ और भू-राजनीतिक अनिश्चितता से निवेशक सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती, महंगाई बढ़ने की आशंका और संभावित ब्याज दर कटौती से गोल्ड की कीमतें आने वाले महीनों में $3,300 तक पहुंच सकती हैं।
भारत ने बनाया खास ‘कंट्रोल रूम’
नयी दिल्ली : भारत सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने की घोषणाओं की निगरानी के लिए एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। यह नियंत्रण कक्ष भारतीय समयानुसार रात 1.30 बजे शुरू हुआ। वाणिज्य और उद्योग सहित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी घोषणाओं पर कड़ी नजर रखने के लिए नियंत्रण कक्ष में मौजूद रहे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि गुरुवार (भारत समयानुसार रात 1.30 बजे) को शुल्क की घोषणा अमेरिका के लिए ‘मुक्ति दिवस’ साबित होगी। वाणिज्य मंत्रालय इन जवाबी शुल्क के संभावित नतीजों का आकलन करने के लिए संभावित चार परिदृश्यों पर काम कर रहा है क्योंकि अब भी इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि ये शुल्क किस मात्रा में और किस तरीके से लगाये जायेंगे।
भारत झेल जाएगा Trump-Tariff के झटके
भले ही ट्रंप टैरिफ को लेकर दुनिया में अनिश्चितता हो, लेकिन भारत इससे निपटने को तैयार है। ट्रंप टैरिफ के झटके के बावजूद भारत उन्नत और उभरते जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। हमारा घरेलू बाजार का बड़ा आकार देश को अमेरिकी टैरिफ नीति से पड़ने वाले संभावित झटकों के प्रति कम संवेदनशील बनाता है। एक रेटिंग एजेंसी रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 19 प्रतिशत मोडेस्ट एक्सटर्नल डेब्ट टू जीडीपी रेशो (जीडीपी अनुपात में अपेक्षाकृत मामूली बाह्य ऋण) और अमेरिकी बाजार पर निर्यात को लेकर कम निर्भरता (जीडीपी का मात्र 2 प्रतिशत) भारत को दुष्प्रभावों से मुकाबला करने में सक्षम बनाती हैं। रेटिंग एजेंसी ने भारत में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 2024-25 में 6.7 प्रतिशत से कम है। उसने मुद्रास्फीति के औसतन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया, जो गत वित्त वर्ष में 4.9 प्रतिशत थी। इससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कम ब्याज दरों और अर्थव्यवस्था में अधिक लिक्विडिटी के साथ भारत की रफ्तार पर ट्रंप टैरिफ का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
डोनाल्ड ट्रम्प का ‘मुक्ति दिवस’: ये reciprocal tariffs होता क्या है और उन्हें कौन चुकाता है?
पारस्परिक शुल्क यानी reciprocal tariffs विदेशी वस्तुओं पर लगाए जाने वाले आयात कर हैं, जो उन देशों द्वारा अमेरिकी निर्यात पर लगाए जाने वाले शुल्कों से मेल खाते हैं। ट्रम्प लंबे समय से इस बात पर जोर देते रहे हैं कि विदेशी राष्ट्र इन शुल्कों का खर्च वहन करें, लेकिन वास्तव में, आयातक – ज़्यादातर अमेरिकी कंपनियाँ – उन्हें चुकाती हैं। ये लागत आम तौर पर उच्च कीमतों के रूप में उपभोक्ताओं पर डाली जाती है।
टैरिफ का उद्देश्य आयातित वस्तुओं को अधिक महंगा बनाकर घरेलू उद्योगों की रक्षा करना है, जिससे स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलता है। हालाँकि, वे अक्सर प्रतिशोध को भड़काते हैं। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ ने स्टील और एल्युमीनियम पर ट्रम्प के पिछले टैरिफ का जवाब बोरबॉन और मोटरसाइकिल सहित अमेरिकी उत्पादों पर कर लगाकर दिया। चीन ने भी सोयाबीन और पोर्क जैसे अमेरिकी निर्यात को निशाना बनाया है।
Donald Trump Tariffs Live Updates : ऐलान से पहले ट्रंप का सोशल मीडिया पोस्ट
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी समय के अनुसार बुधवार सुबह सुबह 7 बजे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर बड़बोली बात कही। उन्होंने कैपिटल लेटर्स में लिखा – “IT’S LIBERATION DAY IN AMERICA” (आज अमेरिका का मुक्ति दिवस है)। यह बयान उसी दिन आया है जब उनकी सरकार व्यापक टैरिफ (आयात शुल्क) की घोषणा करने वाली है। हालांकि, यह अमेरिका का मुक्ति दिवस है या महंगाई लाने वाला दिवस, यह आने वाला समय ही बताएगा।
ट्रम्प टैरिफ : अब तक किस देश ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने कसम खाई कि यूरोपीय संघ “स्पष्ट और निर्णायक रूप से” प्रतिक्रिया देगा, लेकिन बातचीत के लिए जगह छोड़ दी। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने चेतावनी दी कि यूरोपीय संघ सहयोग को प्राथमिकता देता है, लेकिन उसके पास जवाबी कार्रवाई के लिए “मजबूत योजना” है। यूरोपीय संघ ने पहले ही बोरबॉन और मोटरसाइकिलों सहित 28 बिलियन डॉलर के अमेरिकी निर्यात पर टैरिफ लगा दिया है। जर्मनी, एक प्रमुख ऑटो निर्यातक, ट्रम्प द्वारा कार आयात पर प्रस्तावित 25% टैरिफ से सीधे तौर पर प्रभावित है। वित्त मंत्री जोर्ज कुकीज ने हाल ही में जवाबी उपायों पर चर्चा करने के लिए वाशिंगटन का दौरा किया।
एशिया का एकीकृत मोर्चा
चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने पांच वर्षों में अपनी पहली उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता की, जिसमें मुक्त व्यापार को मजबूत करने का संकल्प लिया गया। दक्षिण कोरिया के उद्योग मंत्री आह्न डुक-ग्यून ने “पूर्वानुमानित व्यापार वातावरण” की आवश्यकता पर बल दिया। चीनी अधिकारी वांग लिपिंग ने “एकतरफावाद और संरक्षणवाद” की निंदा की, वैश्विक स्थिरता के लिए जोखिम की चेतावनी दी।
उत्तरी अमेरिका : जवाबी कार्रवाई की तैयारी
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रम्प को सूचित किया कि यदि अमेरिका आगे बढ़ता है तो कनाडा जवाबी टैरिफ लगाएगा। मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने भी जवाबी उपायों का संकेत दिया, लेकिन बातचीत के लिए जगह छोड़ी।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि जवाबी टैरिफ से अमेरिका को $100 बिलियन से अधिक का नुकसान हो सकता है, जिससे जीडीपी में 0.4% की कमी आ सकती है। खुदरा विक्रेता उच्च लागत के लिए तैयार हैं। बेस्ट बाय के सीईओ कोरी बैरी ने वैश्विक व्यापार के महत्व पर जोर दिया, जबकि टारगेट के सीईओ ब्रायन कॉर्नेल ने मुनाफे पर “सार्थक दबाव” की चेतावनी दी। अनिश्चितता के साथ, ट्रम्प की घोषणा के करीब आने पर बाजार अस्थिर बने हुए हैं।
जर्मनी बोला – ट्रेड वॉर से अमेरिका को भी नुकसान होगा!
ट्रंप प्रशासन द्वारा नए टैरिफ की घोषणा से कुछ ही घंटे पहले, जर्मनी ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि ‘व्यापार युद्ध यानी ट्रेड वार से दोनों तरफ के देशों को भारी नुकसान होता है। अमेरिका को भी नुकसान उठाना ही पड़ेगा।’ जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टेफ़न हेबेस्ट्रेइट ने कहा, ‘ट्रेड वॉर का खामियाजा सिर्फ एक पक्ष को नहीं, बल्कि दोनों पक्षों को भुगतना पड़ता है।’ जर्मनी (यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था) अमेरिका के साथ बातचीत के लिए तैयार है, ताकि व्यापार तनाव न बढ़े।
यूरोप की ओर से फ्रांस गरजा
यूरोप की ओर से फ्रांस के उद्योग मंत्री मार्क फेरासी ने कहा कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए टैरिफ (आयात शुल्क) लगाए, तो यूरोप आनुपातिक और संतुलित जवाब देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरोप तनाव बढ़ाने से बचेगा और बातचीत को प्राथमिकता देगा, लेकिन किसी की मनमानी नहीं झेलेगा। फेरासी ने कहा कि ‘यूरोप हमेशा से वार्ता और तनाव कम करने का समर्थक रहा है, क्योंकि व्यापार युद्ध से सभी को नुकसान होता है।’फ्रांस ने कहा है कि अमेरिका के नए टैरिफ (आयात शुल्क) कायूरोपीय संघ (EU) अप्रैल के अंत तक जवाब देगा। फ्रांस की सरकारी प्रवक्ता सोफी प्राइमस ने कहा कि EU की प्रतिक्रिया दो चरणों में आएगी – पहले, मध्य अप्रैल तक स्टील और एल्युमिनियम पर लगे टैरिफ का जवाब दिया जाएगा। दूसरे चरण में अप्रैल के अंत तक हर सेक्टर (उद्योग) को ध्यान में रखते हुए एक विस्तृत योजना बनाई जाएगी। EU एकजुट होकर और मजबूती से अपना फैसला सुनाएगा। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 2 अप्रैल की दोपहर को EU प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन से बात की। EU चाहता है कि इस मामले में सभी देश मिलकर एक साथ रणनीति बनाएं।
ब्रिटिश PM बोले – ट्रंप टैरिफ के लिए हम तैयार!
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अपनी संसद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा घोषित किए जाने वाले नए टैरिफ (आयात शुल्क) पर कहा कि ‘व्यापार युद्ध किसी के भी हित में नहीं है, लेकिन ब्रिटिश सरकार ‘हर संभावना के लिए तैयार’ है। स्टार्मर ने ‘प्रधानमंत्री प्रश्नकाल’ के दौरान कहा कि ब्रिटेन ‘जल्दबाज़ी में कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा’ और इस मामले में ‘शांत दिमाग से काम लेगा’। उन्होंने स्वीकार किया कि ट्रंप की टैरिफ नीति से वैश्विक व्यापार प्रभावित हो सकता है, लेकिन ब्रिटेन अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
ट्रंप के जवाबी टैरिफ शेयर बाजार गिरा
डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दुनिया भर के देशों पर टैरिफ लगाने के एलान के बाद एशियाई बाजारों में गिरावट देखी गई। टोक्यो निकेई 225 इंडेक्स में 3.4 प्रतिशत की गिरावट आई। दक्षिण कोरिया का बेंचमार्क कोस्पी शुरुआत के तुरंत बाद ही 1.9 प्रतिशत लुढ़क गया। ऐसे ही ऑस्ट्रेलिया का एस एंड पी/एएसएक्स 1.8 प्रतिशत गिरकर 7,793 अंकों पर बंद हुआ। ट्रंप के एलान के बाद अमेरिका के शेयर बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर जवाबी टैरिफ के एलान का असर गुरुवार को घरेलू शेयर बाजार पर देखने को मिला। शुरुआती कारोबार में ही शेयर बाजार नकारात्मक रुख के साथ खुला। सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखने को मिली। फिलहाल सेंसेक्स 805.58 अंक यानी 1.05 फीसदी गिरकर 75,811.86 अंक पर कारोबार करते दिखा। ऐसे निफ्टी 182.05 अंक यानी 0.78 फीसदी गिरकर 23,150.30 कारोबार कर रहा है।